मुख्यमंत्री बनने के बाद भी रेखा गुप्ता के पास नहीं होंगी ये Power

CM Rekha Gupta HCN News
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Delhi Chief Minister Rekha Gupta: रेखा गुप्ता ने दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण कर ली है। शपथ ग्रहण के बाद गुप्ता ने यमुना आरती में हिस्सा लिया। इस दौरान दिल्ली की पूरी कैबिनेट मौजूद रही। इसके बाद रेखा गुप्ता ने पहली कैबिनेट की बैठक की।

लेकिन इन सब के बीच एक बड़ा सवाल सामने आया है। क्या रेखा गुप्ता मुख्यमंत्री बनने के बाद कोई भी बड़ा कदम उठा सकती हैं ?, रेखा गुप्ता के पास क्या-क्या करने की पावर होंगी ?। दरअसल रेखा गुप्ता के पास बाकी मुख्यमंत्रियों के मुकाबले कम पावर होगी। क्योंकि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है। ऐसे में केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री के पास कम पावर होती है।

भारत में किसी केंद्र शासित प्रदेश (Union Territory) के मुख्यमंत्री के पास वे सभी शक्तियाँ नहीं होती जो एक पूर्ण राज्य (State) के मुख्यमंत्री के पास होती हैं। मुख्य रूप से उनके अधिकारों में निम्नलिखित सीमाएँ होती हैं:

1. कानून एवं व्यवस्था (Law & Order) पर नियंत्रण नहीं

  • अधिकांश केंद्र शासित प्रदेशों में पुलिस और पब्लिक ऑर्डर का नियंत्रण राज्य सरकार के बजाय केंद्र सरकार (गृह मंत्रालय) के अधीन होता है।
  • उदाहरण: दिल्ली में पुलिस, भूमि, और सार्वजनिक व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन है।
  •   हर फैसले पर LG की मंजूरी जरुरी होगी।

2. राज्यपाल की जगह उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) की अधिक शक्तियाँ

  • पूर्ण राज्यों में राज्यपाल आमतौर पर सलाहकार भूमिका में होता है, लेकिन केंद्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल के पास अधिक शक्तियाँ होती हैं।
  • उपराज्यपाल कई मामलों में मुख्यमंत्री की सिफारिशों को अस्वीकार या संशोधित कर सकते हैं।

3. वित्तीय स्वायत्तता की कमी

  • केंद्र शासित प्रदेशों की वित्तीय निर्भरता केंद्र सरकार पर अधिक होती है।
  • कई नीतिगत निर्णयों के लिए केंद्र सरकार की स्वीकृति आवश्यक होती है।

4. केंद्र सरकार का सीधा दखल

  • केंद्र सरकार विशेष परिस्थितियों में सीधे हस्तक्षेप कर सकती है और मुख्यमंत्री के निर्णयों को ओवरराइड कर सकती है।

5. कुछ केंद्र शासित प्रदेशों में मुख्यमंत्री का पद ही नहीं होता

  • केवल कुछ केंद्र शासित प्रदेशों (जैसे दिल्ली, पुडुचेरी) में ही मुख्यमंत्री और विधानसभा होती है।
  • अन्य केंद्र शासित प्रदेश (जैसे चंडीगढ़, लक्षद्वीप, अंडमान-निकोबार, लद्दाख) सीधे केंद्र सरकार के नियंत्रण में होते हैं।

केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री की शक्तियाँ राज्यों के मुकाबले सीमित होती हैं, खासकर कानून-व्यवस्था, भूमि, और वित्तीय मामलों में। केंद्र सरकार और उपराज्यपाल का अधिक नियंत्रण होने के कारण उनकी भूमिका कई मामलों में राज्य के मुख्यमंत्री जितनी स्वतंत्र नहीं होती।

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