उत्तर भारत के सबसे प्रमुख्य त्योहारों में से एक लोहड़ी या लोहरी (Lohari) है। मुख्य रूप से ये सिखों और हिंदू समाज द्वारा मनायी जाती है। ये त्योहार शीतकालीन संक्रांति के अंत और रबी फसलों की कटाई का प्रतीक है।
फसल तैयार होने की खुशी में समाज के सभी लोग एक जुट होते हैं। फिर सुखी लकड़ी लगाकर आग जलाते हैं। इस दौरान भगवान सूर्य और कृषि के लिए भगवान को धन्यवाद किया जाता है।
Why Lohri Festival Celebrated
ये त्योहार हर साल 13 जनवरी को बहुत उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग रंगीन पारंपरिक कपड़े पहनते हैं और अलाव (“Bonfire”) के चारों ओर गाते हैं नाचते हैं।
लोहड़ी क्यों मनायी जाती है?
लोहड़ी मख्य तोर पंजाबी के कृषि से जुड़े लोग मनाते हैं। ये त्यौहार नई फसल के तैयार होने की खुशी में मनाया जाता है। ये त्योहार खुशीओं के स्मार्थ और कृषिकों के प्रति की क्षमागता के रूप में मनाया जाता है।
लोहड़ी कैसे मनायी जाती है?
- Bonfire (बोनफायर) की रिती: लोहड़ी के मौके पर प्रकाश के लिए बोनफायर की प्रथा है। यहां आग जलाते हैं। इसके चारों ओर मुंफली, गुड़, तिल और गट्टे डाले जाते हैं।
- Folk Songs (गीत): लोहड़ी के मौके पर गीत गाये जाते हैं, जो नई फसल की खुशी और कृषि की क्षमागता की कहानी बयां करती है।
- Dancing (नृत्य): पीपल और गिद्धी नृत्य का लोहड़ी पर खास महत्व है। गिद्धी गाते हुए लोग नाचते हैं और खुशी मनाते हैं।