USAID पर पहली बार बोले विदेश मंत्री, कर दी बोलती बंद!

S Jaishankar HCN News
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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हाल ही में कई ऐसे बयान दे रहे हैं, जो भारत के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकते हैं। खासकर कूटनीतिक और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से जुड़े मुद्दों पर उनकी टिप्पणियां चर्चा का विषय बनी हुई हैं। हालांकि, भारत सरकार बेहद संतुलित और रणनीतिक प्रतिक्रिया दे रही है।

कुछ मामलों पर भारत की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, जबकि कुछ मुद्दों पर भारत ने कूटनीतिक भाषा में सधा हुआ जवाब दिया है। इस बीच USAID पर भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने जवाब दिया है। जिसके बाद माना जा रहा है कि USAID पर विवाद खत्म हो जाएगा।

USAID को लेकर जयशंकर का बयान

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूएसएआईडी (USAID) से जुड़े हालिया मामलों पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन के लोगों द्वारा कुछ जानकारी सार्वजनिक की गई है, जो चिंताजनक है।

जयशंकर ने आगे कहा,“मुझे लगता है कि सरकार के तौर पर हम इसकी जांच कर रहे हैं। तथ्य सामने आएंगे। यूएसएआईडी को हमेशा सद्भावनापूर्ण कार्यों के लिए अनुमति दी गई थी,

लेकिन अब अमेरिका से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि कुछ गतिविधियां दुर्भावनापूर्ण हो सकती हैं। अगर इसमें कुछ तथ्य हैं, तो देश को ये जानने का अधिकार है कि इसमें कौन लोग शामिल हैं।”

भारत की रणनीति: संतुलित विदेश नीति

भारत की कूटनीति का मकसद ये सुनिश्चित करना है कि वो किसी भी बाहरी दबाव में आए बिना अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करे।

  • ब्रिक्स जैसे संगठनों को लेकर भारत का रुख साफ है – वो इसे मजबूत बनाना चाहता है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी भागीदारी को बनाए रखना चाहता है।
  • अमेरिका और चीन दोनों के साथ संतुलित संबंध – भारत एक ओर QUAD और हिंद-प्रशांत सुरक्षा मामलों में अमेरिका के साथ सहयोग बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी ओर चीन के साथ कूटनीतिक बातचीत को भी प्राथमिकता दे रहा है।
  • डोनाल्ड ट्रंप के बयानों का जवाब भारत अपनी रणनीतिक शैली में दे रहा है, बिना किसी अनावश्यक टकराव के।

ब्रिक्स को खत्म करने की ट्रंप की बात पर भारत का जवाब

डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स (BRICS) संगठन को लेकर संदेह जताया था और इसके महत्व पर सवाल खड़े किए थे। लेकिन भारत ने इस मुद्दे पर अपने रुख को स्पष्ट कर दिया है।

20-21 फरवरी 2025 को दक्षिण अफ्रीका में जी-20 बैठक के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ब्राजील, रूस और चीन के विदेश मंत्रियों से अलग-अलग मुलाकात की। इन बैठकों में ब्रिक्स संगठन को मजबूत बनाने और इसके भविष्य को लेकर गहन चर्चा हुई।

इसके अलावा, जयशंकर ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल रामफोसा से भी मुलाकात की, जहां जी-20 और ब्रिक्स से जुड़े मुद्दों पर बातचीत हुई। भारत की ये रणनीति दर्शाती है कि वो ब्रिक्स को लेकर हमेशा गंभीर रहेगा और इस संगठन को कमजोर करने के किसी भी प्रयास का कूटनीतिक जवाब देगा।

भारत का आधिकारिक रुख: ब्रिक्स किसी के खिलाफ नहीं

कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार, भारत का हमेशा से ये आधिकारिक रुख रहा है कि ब्रिक्स किसी भी देश के खिलाफ नहीं है, बल्कि ये सदस्य देशों के बीच सहयोग और विश्वास बढ़ाने का एक मंच है। इसी संदर्भ में चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक में एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया आज विभाजन और ध्रुवीकरण की ओर बढ़ रही है, लेकिन भारत सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों में अपनी भागीदारी को मजबूत बनाए रखेगा।

भारत और चीन के बीच कूटनीतिक बातचीत जारी

भारत और चीन के बीच पिछले कुछ महीनों में उच्च स्तर की कई महत्वपूर्ण बैठकें हो चुकी हैं, जिससे ये स्पष्ट होता है कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता के खिलाफ अमेरिका के साथ मिलकर क्वाड (QUAD) में अपनी भूमिका निभाएगा, लेकिन साथ ही चीन के साथ रिश्तों को सुधारने की प्रक्रिया भी जारी रखेगा।

  • पिछले चार महीनों में भारत-चीन के बीच हुई अहम बैठकें:
    • दो बार विदेश मंत्रियों की बातचीत
    • एक बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) स्तर की बैठक
    • एक बार विदेश सचिव स्तर की बैठक

इन बैठकों का मुख्य उद्देश्य भारत और चीन के संबंधों को स्थिर बनाए रखना और आपसी विवादों को सुलझाने की कोशिश करना रहा है।

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दिए गए बयान कई बार भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन भारत सरकार कूटनीतिक समझदारी और संतुलित दृष्टिकोण के साथ इनका जवाब दे रही है। ब्रिक्स को लेकर भारत का रुख स्पष्ट है कि ये संगठन किसी देश के खिलाफ नहीं, बल्कि आपसी सहयोग को बढ़ाने के लिए है। इसी तरह, चीन और अमेरिका के साथ अपने संबंधों को भारत अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए संभाल रहा है।

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