मराठा आरक्षण आंदोलन हुआ खत्म, शिंदे सरकार ने मान ली मनोज जरांगे पाटिल की ये सारी मांगें
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है. मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जारांगे पाटिल की पदयात्रा नवी मुंबई पहुंच चुकी है. Maratha reservation movement has once again gained momentum in Maharashtra. Manoj Jarange Patil's padyatra regarding Maratha reservation has reached Navi Mumbai.
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है. मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जारांगे पाटिल की पदयात्रा नवी मुंबई पहुंच चुकी है. फिलहाल शिंदे सरकार से मनोज जारांगे की बातचीत चल रही है. इससे पहले भी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आंदोलनकारी नेता मनोज जारांगे से बातचीत करके मराठा समुदाय को कुनबी जाति की कैटिगरी में शामिल करने का वादा किया था. उनके इस आश्वासन के बाद मनोज जारांगे पाटिल ने आमरण अनशन खत्म कर दिया था, लेकिन अब मनोज जारांगे ने सरकार के खिलाफ एक बार फिर से मोर्चा खोल दिया है.
जालना में भड़की थी हिंसा
पिछली बार आंदोलन के समय जालना में हिंसा भड़क उठी जिसके बाद बड़ी संख्या में पुलिस की एक टुकड़ी धरना स्थल पर पहुंची और कहा कि जारांगे की हालत बिगड़ रही है और उन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है, लेकिन उनके समर्थकों ने जोर दिया कि वे प्राइवेट डॉक्टरों से उनकी जांच कराएंगे. इसके बाद भारी बवाल हुआ था.
फोन करने के लिए मजबूर हुए शिंदे
पिछले साल अगस्त में मराठा कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से समुदाय के आरक्षण की मांग उठाई थी, जिसमें एक आवाज जारांगे की भी थी, लेकिन उनकी आवाज शिंदे सरकार तक नहीं पहुंच सकी जिस कारण यह आंदोलन आग की रफ्तार से आगे बढ़ता रहा. पर अब वहीं सीएम शिंदे को जारांगे को फोन करने के लिए मजबूर होना ही पड़ा,जिसके बाद उन्होंने भूख हड़ताल पर बैठे जारांगे से आंदोलन बंद करने का अनुरोध किया. जारांगे ने सीएम के इस अनुरोध पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और जालना में सात अन्य कार्यकर्ताओं के साथ भूख हड़ताल पर बैठने का फैसला किया.
आखिर क्या है मनोज जरांगे की मांगें?
मराठा समुदाय के लोगों के लिए ओबीसी के तहत सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रही है.
⦁ मनोज जरांगे की पहली मांग है कि मराठा समुदाय को फुलप्रूफ आरक्षण मिले.
⦁ जब तक सभी मराठों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल जाता, तब तक आंदोलन खतम नहीं होगा.
⦁ आरक्षण आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज अपराधों को रद्द करने के लिए एक तारीख तय हो.
⦁ महाराष्ट्र सरकार मराठा समुदाय के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के सर्वेक्षण के लिए राशि दे और टीमें बनाए.
⦁ मराठों को कुनबी जाति प्रमाण-पत्र देने वाला एक सरकारी आदेश पारित किया जाना चाहिए और उसमें महाराष्ट्र शब्द जरूर शामिल होना चाहिए.
कौन हैं मनोज जारांगे?
मनोज जारांगे पाटिल मूल रूप से महाराष्ट्र के बीड जिले के मातोरी गांव के रहने वाले है और अपने परिवार के साथ जालना में रहते हैं. साल 2010 में जारांगे 12वीं की पढ़ाई छोड़ आंदोलन से जुड़ गए. उन्होंने अपनी आजीविका चलाने के लिए होटल में काम किया. साल 2016 से 2018 तक भी उन्होंने जालना में आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसके बाद आरक्षण से जुड़े मुद्दे उठाने के लिए जारांगे ने ‘शिवबा’ नामक संगठन बनाया. जारांगे ने कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की लेकिन कुछ समय बाद वे कांग्रेस से अलग हो गए.