4 दशक से भी अधिक समय तक भारतीय राजनीति में सक्रिय BJP संस्थापक Lal Krishna Advani को मिलेगा सम्मान

लालकृष्ण आडवाणी 4 दशक से भी अधिक समय तक भारतीय राजनीति में सक्रिय रहकर कई बार मंत्री भी बने, जिन्हें आज भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है. Lal Krishna Advani remained active in Indian politics for more than 4 decades and became a minister several times, and is being honored with Bharat Ratna today.

4 दशक से भी अधिक समय तक भारतीय राजनीति में सक्रिय BJP संस्थापक Lal Krishna Advani को मिलेगा सम्मान

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी घोषणा कर उन्हें बधाई देते हुए अपने X पर पोस्ट शेयर कर खुशी जताते हुए कहा कि देश के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है. उन्होंने अपना राजनीतिक सफर आम कार्यकर्ता के रूप में से शुरू किया  और देश के उपप्रधानमंत्री पद तक जिम्मकदारी संभाल देश की सेवा की. 

क्या कहा पीएम मोदी ने 

पीएम मोदी ने कहा कि वह हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक हैं, उन्होंने देश के गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी देश की सेवा की और अपनी पहचान बनाई. उनका कहना था कि उनके मार्गदर्शन से हमेशा हमें देश सेवा और जनसेवा करने की प्रेरणा मिली, उनके सार्वजनिक जीवन ने अलग ही अनुकरणीय मानक स्थापित किया हैं, जिनका हम सब अपने राजनीतिक जीवन में पालन करते हैं. 

उन्होंने आगे कहा- आडवाणी जी ने राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक पुनरुत्थान के लिए काम किया है, उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना मेरे लिए बहुत भावुक क्षण है. ‘मैं इसे हमेशा अपना सौभाग्य मानूंगा कि मुझे उनके साथ बातचीत करने और उनसे सीखने के अवसर मिला.'

लालकृष्ण आडवाणी का कार्यकाल 

लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक और सबसे अधिक समय तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहने वाले एकमात्र नेता रहे हैं. 1980 में भाजपा के गठन के बाद पहली बार वे 1986 से 1990 तक अध्यक्ष रहे, इसके बाद 1993 से 1998 और फिर 2004 से 2005 तक वे बीजेपी के अध्यक्ष की कुर्सी पर बने रहे, जिसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनट में (1999-2004) आडवाणी ने उपप्रधानमंत्री का पद संभाला. 

कौन है लालकृष्ण आडवाणी?

लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में हुआ था, जहां से उन्होंने  कराची के सेंट पैट्रिक्स स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की और इसके साथ ही वे राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़ गए औऱ देश की सेवा करने का विचार पक्का कर लिया. वहीं, 1947 में देश की आजादी के बाद उन्हें अपना घर छोड़कर भारत आना पड़ा, जिसके बाद वे राजस्थान में आरएसएस प्रचारक के रूप में काम करने लगे. राजस्थान छोड़ उन्हें साल 1957 में दिल्ली आना पड़ा, जिससे वे अटल और नवनिर्वाचित सासंदों की मदद कर सकें. दिल्ली में करीब 3 साल काम करने के बाद उन्होंने बतौर पत्रकार अपने करियर की शुरुआत की और 1960 में उन्होंने ऑर्गनाइजर में सहायक संपादक पदभार संभाला था.