40 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जाएगा, लेकिन Gaganyaan Mission में क्यों नहीं है कोई महिला?
4 अंतरिक्ष यात्री, जो गगनयान मिशन पर जाएंगे उनके नाम कैप्टन प्रशांत नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला हैं. The names of the 4 astronauts who will go on the Gaganyaan mission are Captain Prashant Nair, Group Captain Ajit Krishnan, Group Captain Angad Pratap and Wing Commander Shubhanshu Shukla.
गगनयान मिशन पर भेजे जाने वाले 4 अंतरिक्ष यात्रियों को आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया से रूबरू कराया. केरल के तिरुवनंतपुरम में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में आज प्रधानमंत्री मोदी ने चारों अंतरिक्ष यात्रियों से मुलाकात की.
4 अंतरिक्ष यात्री, जो गगनयान मिशन पर जाएंगे उनके नाम कैप्टन प्रशांत नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला हैं. अभी वर्तमान समय में इनकी ट्रेनिंग चल रही है और साल 2025 में इन्हें गगनयान मिशन पर भेजा जाएंगा. लेकिन जब इसरो चीफ एस सोमनाथ से कार्यक्रम के दौरान एक अहम सवाल पूछा गया कि चारों अंतरिक्ष यात्रियों में कोई महिला नहीं है, आखिर ऐसा क्यों?
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मीडिया ने पूछा सवाल
कार्यक्रम के दौरान मीडिया ने सवाल पूछा कि अंतरिक्ष की दुनिया में कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स का नाम खास तौर पर लिया जाता है। दोनों का भारत से कनेक्शन है और दुनियाभर के अंतिरक्ष यात्रियों के लिए मिसाल हैं तो फिर गगनयान मिशन के लिए किसी महिला को क्यों नहीं चुना गया?
इसरो चीफ ने दिया जवाब
इसरो चीफ ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हमें खुशी होगी, अगर कोई महिला देश के किसी भी स्पेस मिशन का हिस्सा बनना चाहेगी. दरअसल, गगनयान मिशन के लिए किसी महिला पायलट ने नॉमिनेशन नहीं किया था, इसलिए महिलाएं इस मिशन का हिस्सा नहीं बन पाई, लेकिन इसरो चाहता है कि महिलाएं भी देश के स्पेस मिशन पर जाने के आगे आएं। कल्पना और सुनीता की तरह देश का नाम रोशन करें.
40 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जाएगा
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज देश के अंतरिक्ष मिशनों में महिला वैज्ञानिकों का खास योगदान रहता है, उनके बिना न तो चंद्रयान मिशन था और न ही गगनयान मिशन संभव होगा. मिशन के लिए चुने गए चारों अंतरिक्ष यात्री सिर्फ 4 नाम या 4 लोग नहीं हैं, बल्कि वे 4 शक्तियां हैं, जो 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं को अंतरिक्ष में ले जाएंगी, क्योंकि 40 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जा रहा है, अंतर इतना है कि इस बार मिशन, समय, उलटी गिनती और रॉकेट हमारा खुद का है. विंग कमांडर राकेश शर्मा (सेवानिवृत्त) 1984 में सोवियत मिशन के तहत अंतरिक्ष में गए थे.
महंगा वैज्ञानिक मिशन है - गगनयान मिशन
पीएम मोदी ने कहा कि गगनयान मिशन भारत द्वारा शुरू किया गया, अब तक का सबसे महंगा वैज्ञानिक मिशन है और इस पर लगभग 10,000 करोड़ रुपये की लागत आने वाली है. इस मिशन से कई गेम-चेंजिंग टेक्नोलॉजी को विकसित करने में मदद मिलने की उम्मीद है. मिशन सफल होने पर भारत स्वदेश निर्मित रॉकेट से किसी अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अभी तक यह उपलब्धि केवल अमेरिका, चीन और सोवियत रूस के नाम है.